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अस्पताल में लंड की खोज-1
नमस्कार दोस्तो, मैं लव शर्मा एक बार फिर हाज़िर हूँ हिंदी गे सेक्स स्टोरीज के दूसरे भाग को लेकर… अब तक आपने पढ़ा कि मैं अस्पताल में लंड पाने के लिए काफी मशक्कत कर चुका था लेकिन मुझे कोई मस्त जवान मर्द नहीं मिल पाया और अंत में एक जवान लंबा चौड़ा, हट्टा कट्टा गांव वाला जमींदार का बेटा मिला जो अस्पताल की सीढ़ियों पर बैठा अपना टाइम पास कर रहा था और जिसके लंड को पाने की मैं जुगाड़ करने लगा.
अब तो बस मेरे दिमाग मैं उसका मोटा ताजा लंड लंड ही घूम रहा था, मैं इसी जुगाड़ में था कि इसका लंड अब कैसे लिया जाये. मैं भी अपना मोबाइल जेब से निकालकर वहीं खड़ा हो गया. कुछ देर बाद उसका ध्यान मुझ पर गया और वो मुस्कुराया और मुझे लगा कि यह अपने टाइम पास के लिए बातचीत करना चाहता है. मैं भी मुस्कुरा दिया. वो बोला- क्या करें यार, बोर हो गये हैं यहाँ पर… ऊपर से गर्मी भी इतनी पड़ रही है.
मैंने भी उसका समर्थन करते हुए कहा- हाँ यार! सही है, क्या करो अब, यहाँ टाइम पास नहीं होता… आप अपने किसी रिश्तेदार के साथ आये हैं क्या? उसने कहा- हाँ यार.. यहीं 204 में है.. मुझे नींद नहीं आ रही है.. क्या करें अब… फोन में ही टाइम पास कर रहा हूँ. लेकिन गेम भी कब तक खेलो यार! मैंने कहा- सही है यार तुम्हारी बात भी!
मैं बस इसी उधेड़बुन में था कि अब इस ताजे लंड को कैसे मैं कहीं अकेले में ले जाऊँ और इसके मोटे ताजे जंगली लंड का मजा लूं. तभी मैंने कहा- आपने ऊपर का नया फ्लोर देखा है जो बन रहा है? उसने जवाब दिया- नहीं देखा! कहाँ पर? मैं बोला- ऊपर बन रहा है.. बढ़िया फर्नीचर का काम चल रहा है. मैं तो घूमकर आया अभी. आप बोर हो रहे हो तो चलो वहीं! उसने बड़ी ही उत्सुकता से हामी भरते हुए कहा- चलो फिर… अपन तो फ्री हैं. और वह उठकर चलने लगा.
मैंने कहा- अरे चप्पल तो पहन लो. वो अपनी भारी मर्दाना आवाज में बोला- अरे कुछ नहीं, चलो तुम तो… अपन गांव के लोग है.. पैर मजबूत हैं. और वो अपने मजबूत पैरों से धम धम करता हुआ मेरे पीछे पीछे सीढ़ियों पर आने लगा.
अब मैं उसे देखता हुआ सीढ़ियाँ चढ़ रहा था और उसे देखकर मेरा लंड तन चुका था.
ऐसे ही सीढ़ियाँ चढ़ते हुए हम लोग पांचवीं मंजिल पर पहुँचे… अंदर गए और सभी कमरों को देखते हुए आखरी छोर पर पहुँच गए जहाँ पर एक रेलिंग लगी हुई थी, जहाँ से शहर दिख रहा था. वह रेलिंग से टिक कर खड़ा हो गया जिससे उसका लंड रेलिंग को टच कर रहा था और मेरी नज़र उसके लंड के उभार पर ही अड़ी हुई थी.
मैं भी उसके ही बगल में खड़ा हो गया और मौका पाकर मैंने अपना हाथ रेलिंग के उस हिस्से पर रख दिया जहाँ पर उसका लंड टच हो रहा था. हम लोग बातें कर रहे थे और शहर का नज़ारा देख रहे थे. मैं यही सोच रहा था कि इस जवान गांव वाले चोदू मर्द का लंड कैसे लूं. मैं अपने हाथ को काफी समय से उसके लंड के आगे रेलिंग की पाइप पर रखे हुए था. जब कभी बात करते हुए वो थोड़ा आगे पीछे होता तो उसके लंड का थोड़ा सा अनुभव मेरे हाथ पर हो जाता. कुछ समय के बाद बात करते हुए वो अपनी जगह से आगे बढ़ते हुए रेलिंग से नीचे झांकते हुए कुछ देखने लगा जिससे उसका लंड पूरी तरह से मेरे हाथ से टच हो गया और मेरा हाथ उसके लंड और रेलिंग के पाइप के बीच में दब गया. मैं अचानक घबरा गया और सोचा कि अपना हाथ वहाँ से हटा लूँ, लेकिन मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई और सोचा की मुझे इसका लंड तो लेना ही है तो डरना कैसा..
कुछ देर तक मैंने अपना हाथ वहाँ से नहीं हटाया, तब धीरे धीरे मुझे पता चला कि उसका लंड सख्त और खड़ा हो रहा है. अभी तक मैंने अपनी तरफ से कुछ भी नहीं किया था. वो भी सामान्य रूप से बातचीत कर रहा था. लेकिन कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि वह शराब के नशे में है और मेरे हाथ से टच होने के कारण उसका लंड खड़ा हो रहा है.
वैसे वो बात तो सामान्य ही कर रहा था लेकिन नशे में सेक्स का इतना ज्यादा ध्यान नहीं रहता है. अब वो अपने आपको थोड़ा आगे पीछे करके अपने लंड को मेरे हाथ से बार बार टच कर रहा था. यह सब देखकर मुझे भी थोड़ी हिम्मत आई और मेरी जान को सुकून आया कि मुश्किल से ही सही लेकिन लंड मिलने की उम्मीद तो जागी.
आपको बता दूँ कि यह सब नशे का ही कमाल था. वो किसी गांव का जवान, मस्त, हट्टा कट्टा जमींदार का बेटा लग रहा था इसलिए जाहिर सी बात थी कि वो हर शाम को शराब तो पीता ही होगा. अस्पताल में होने के बावजूद शराब की तलब उसे बर्दाश्त न हो सकी और उसने पी ली थी.
वह होश में था लेकिन थोड़ी मदहोशी और खड़े लंड की आग के चलते उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कर रहा है. अब उसका लंड पूरी तरह से कड़क लोहे की रॉड सा जीन्स में से झटके मार रहा था लेकिन मैंने अभी तक कुछ नहीं किया था.
अब जाकर मैंने अपने हाथ से उसके लंड के उभर पर रखा और उसे अनुभव किया. अच्छा लंड था उसका, लगभग 7 इंच का होगा, काफी ज्यादा मोटा तो नहीं था लेकिन शेप में मस्त दिख रहा था. मैंने जैसे ही उसके लंड को टच किया, वह थोड़ा पीछे हटा और मुझे देखा और नशे में थोड़ा मुस्कुराया. क्या कातिलाना मुस्कान थी वो… उस मुस्कान के साथ वह जवान लौंडा और भी कामुक लग रहा था.
6 फिट का जवान मर्द… गांव वाला मस्त बदन चौड़ी हथेली वो भी कड़क… बदन पर नर्म कपड़े वाली कॉटन की महंगी शर्ट जिसके खुले हुए बटन से दिखती हुई छाती और मोटी बाजू जो शर्ट में अलग ही अपनी जगह बना रही थी. मोटी जांगहें और जीन्स में से फनफनाता हुआ लंड… बाल ऊपर की ओर बनाये हुए जो काफी कड़क थे और गंभीर स्वभाव और चोदू लुक ऐसा कि बस गांड और चूत खोलकर लाइन से लेट जाओ तो एक ही दिन में 100 लड़कियो को माँ बना दे.
मैं उसके बगल में खड़ा हुआ उसके लंड को जीन्स के ऊपर से ही सहला रहा था और उसे काफी मजा आ रहा था. उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थी और वह सब कुछ भूलकर आनन्द ले रहा था. उसे यह खबर भी नहीं थी कि उसके पास कोई लड़की नहीं लड़का खड़ा हुआ है. मैंने भी इस बात का पूरा फायदा उठाया.
ऐसे जवान मर्द बड़ी मुश्किल से मिलते हैं और वह तो किसी गांव का ठाकुर लग रहा था… उन्हें तो लड़कियाँ ही आसानी से मिल जाती हैं, फिर लड़कों की क्या जरूरत… और वह लड़के से सेक्स करना गांडूपन भी मानते है इसलिए मुझे जो मौका मिला था उसे मैं सौभाग्य मान रहा था और उसे भी पूरा मजा देना चाहता था.
मैं उसकी बगल में खड़ा उसके लंड को तेजी से सहलाने लगा और मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी भुजा पर रख दिया और उसकी मोटी भुजाओं को सहलाने लगा. धीरे धीरे मैं उसके और नज़दीक आ गया, अब मैंने अपना हाथ उसकी छाती पर रख दिया और उसकी बालों भारी मर्दाना छाती को सहलाने लगा. उसके बदन से मदमस्त कर देने वाली मर्दाना महक आ रही थी जिसे में अपनी साँसों में भरने लगा. उसकी आँखें बंद थी और अब वह भी अपने आप को रोक नहीं पा रहा था वह भी सिसकारियाँ लेने लगा.
उसकी गर्म साँसें मेरी सांसों में मिल रही थी. मैं धीरे धीरे उसके और नज़दीक गया और मैंने उसके होंठों पर एक छोटी सी किस कर दी. इसके बाद हम दोनों की सांसें और तेज हो गई.
उसने अचानक से मुझे दबोच लिया और अपनी मजबूत भुजाओ में भर लिया, मैंने भी उसे जकड़ लिया. वह मुझसे थोड़ा लंबा था इसलिए मैं उसके गले और छाती तक ही पहुँच रहा था.. मैंने उसकी छाती को चूम लिया और इसके बाद दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह गले में चूमने लगे.
अचानक से उसने अपना हाथ मेरे लोवर में डाला और मेरी गांड को मसलने लगा. मैंने भी बिना देर किये उसके जीन्स में हाथ डाल दिया और उसका मस्त लंड मेरे हाथ में आ गया जो झटके मार रहा था. मेरे चूतड़ों को काफी मसलने के बाद वह अपना हाथ मेरे लोवर में आगे की तरफ ले आया जहाँ पर उसके हाथ में मेरा लंड आ गया. तब जाकर वह अपनी मदहोशी से बाहर आया और उसे एहसास हुआ कि वह यह सब एक लड़के के साथ कर रहा था.
अब वह थोड़ा होश में आया और उसने अपना हाथ मेरे लोवर से निकाल लिया. मैंने भी अपना हाथ उसके चोदू लंड से हटा दिया और हम लोग एक दूसरे से थोड़े दूर हो गए. उसने कहा- चलते हैं यार अब नीचे… मैंने कहा- क्यों क्या हुआ.. चलेंगे थोड़ी देर के बाद, नीचे भी तो हम लोग बोर ही हो रहे थे. उसने कहा- नहीं नहीं यार.. चलो! इतना बोलते हुए वह जाने लगा.
मुझे तो यह मस्त जवान ठाकुर राजकुमार मुश्किल से मिला था और बिना लंड लिए मैं उसे कैसे जाने दे सकता था, तभी मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए रोका और मैंने कहा- चलो यार, उधर वो जो नए कमरों में फर्नीचर बन रहा है वहाँ चलो.. मस्त लंड चूसता हूँ तुम्हारा!
वो बोला- नहीं यार, चलते हैं… मैं बोला- एक बार चलो तो सही… मस्त मजे कर दूँगा… वो टालते हुए बोला- नहीं, अभी चलो यार, थोड़ी देर से आ जाएंगे!
लेकिन मैं नहीं माना.. तब वो चोदू अंदाज़ में बोला- मुझे लंड चुसवाने में मजा नहीं आता, चोदने में ही मजा आता है… गांड में लंड पेलूँगा मैं तो! मैं गांड नहीं मरवाता हूँ, इसलिए मैंने मना कर दिया कि मैं गांड में नहीं लूंगा… मुख में चाहे जितना चोद लेना. लेकिन वह तो हरामी चोदू लौंडा था… नहीं माना और जाने लगा.
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अस्पताल में लंड की खोज-3
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