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हैलो दोस्तो, मुझे अपने से बड़े उम्र की लड़कियाँ या भाभियाँ बहुत पसंद हैं. एक बार सोसल नेटवर्किंग साइट पर दो भाभियों ने मुझे मैसेज किये और अपनी असन्तुष्ट सेक्स लाइफ के बारे में बताया और मुझसे सेक्स करने की इच्छा जाहिर की. मैंने भी उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके साथ मुफ्त सेक्स कर उनको पूरी तरह संतुष्ट किया. जब किसी को आपके लंड से चुद कर खुशियाँ मिलतीं है तो ऐसी खुशियाँ मैं हर एक असंतुष्ट महिला या लड़की को देना चाहूंगा.
खैर मेरा नाम आर्यन सिंह है, मैं उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रहता हूँ, मैं 21 साल का हूँ, मेरी लम्बाई 5’8″ है, मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है. मेरे घर में चार लोग है, मेरे घर में मेरे बड़े भाई, मम्मी, बहन और मैं हूँ. मेरे पिता जी की मृत्यु हो गई है, मेरे पापा जी इंडियन आर्मी में थे. मेरे बड़े भाई साहब पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. पुलिस में नौकरी करने की वजह से वो घर बहुत कम आ पाते हैं.
वैसे मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और अभी तक की सारी कहानियाँ पढ़ी है इसीलिये अपनी कहानी को मैं आपके सामने रखने जा रहा हूँ, आशा करता हूँ कि आप सबको पिछली कहानी की तरह ये कहानी भी बड़ी ही पसंद आएगी.
यह मेरी सच्ची घटना है जो मेरे साथ हुई. बात तब की है जब मैं बी.टेक के प्रथम वर्ष में था. छुट्टियों में मैं अपनी मम्मी को लेकर मेरे पापा जी के एक बहुत ही अच्छे मित्र के यहाँ पर सात साल बाद घूमने गया था जो इलाहाबाद में रहते हैं, उनका नाम देवेन्द्र है. मेरे पापा ने उन्हीं के साथ जॉब की थी और काफी दूर के रिलेशन में भी हमारे अंकल यानी चाचा जी भी लगते थे.
जब मैं और मेरी मम्मी वहाँ पहुंचे तो अंकल और आंटी हम लोगों को देख कर बहुत खुश हुए, मैं सब से मिला. मिलते ही अंकल बोलने लगे कि मैं कितना बड़ा हो गया हूँ, मुझको उन्होंने बहुत पहले देखा था. फिर अंकल आंटी से मैंने थोड़ी बहुत बात की और शांत हो गया, मम्मी आंटी अपनी बातें करने लगी. बड़े लोगों बीच मैं अकेला बोर होने लगा था.
तभी देवेन्द्र अंकल की लड़की जिसका नाम पूजा था, हम लोगों के लिए चाय लेकर आई, और हम को देखकर खुश हुई, उसने हल्का सा मुस्कुरा कर नमस्ते किया. जैसे ही मैंने उसे देखा, मैं देखते ही रह गया. वैसे मैंने उसे छोटे में देखा था, पर अब वो मेरी हमउम्र थी. वो कहते हैं ना कि भगवान सच में किसी को सुंदरता देता है, तो कयामत ढा के दे देता है.
दोस्तो, क्या बताऊँ आपको उसकी सुन्दरता के बारे में, इतनी सुंदर कि कोई भी देख ले तो उसका लंड उसे चोदने के लिए एक सेकंड में खड़ा जाये, उसने अपने फ़िगर को बहुत मेन्टेन कर रखा था, इसलिए उसका फिगर भी बहुत अच्छा दिख रहा था. और उसके चेहरे पर उसकी मुस्कान तो उफ़ माशाल्लाह… जब वो हँसती थी तो चेहेरे में उसके डिंपल पड़ते थे, जो उसकी सुंदरता को और बढ़ा देते थे. उसकी हंसी ऐसी थी कि रोता हुआ इंसान भी देख कर मुस्कुराने लगे. उसकी वो बड़ी बड़ी आँखें भी बड़ी लाजवाब थी जिनको देख कर लग रहा था कि मानो को हुस्न की परी उतर आई हो. उसके होंठ काफी हद तक गुलाबी थे, मन हुआ कि अभी रस निचोड़ लूँ. उसकी चुचियों को देख कर कोई भी उन्हें दबाने से अपने आपको नहीं रोक सकता था. वो इतनी सुंदर थी कि मैं उसकी खूबसूरती लफ्जो में बयान नहीं कर सकता.
दोस्तो, मैं दिखता तो मासूम टाइप का था, पर अंदर से बहुत ही कमीना था, मैंने नजरों में ही उसके शरीर का माप ले लिया, उसका शरीर कुछ 34-30-32 होगा. जब मैंने पूजा को देखा तो, सोचा चलो मेरा यहाँ आना सफल हो गया. मेरा मन इसी में लगा रहेगा, पर मेरी शर्मीली आदत की वजह से मैंने उससे कुछ भी बात न की, पूरा एक दिन हो गया, बस ऐसे ही एक दो लफ्ज हम दोनों बोले होंगे, पर मैं नजर बचा बचा कर उसे किसी न किसी बहाने से देख रहा था पर उसको पता नहीं चलने दे रहा था.
वैसे दिखने में ही वो बड़ी ही शरीफ और संस्कारी थी, उसे आज तक किसी ने नहीं छुआ था, ये भी मैं उसके चाल चलन से पहचान गया था. क्योंकि मेरी काफी गर्लफ्रेंडस थी, मैंने सेक्स भी काफी बार किया हुआ था, तो मैं लड़कियों के बात करने और उनके चाल चलन के तरीके से समझ सकता हूँ, कौन लड़की कैसी होगी. पर मैं तो नंबर एक का कमीना, मैं कहाँ रूकने वाला था, उसको पटाने की तरकीब सोचने लगा.
पर हम लोगों की ज्यादा बात ना हो पाई. एक दो बार जब वो मुझसे कुछ थोड़ा बहुत बोली होगी, लेकिन जब भी मैं कहीं अकेला खड़ा होता, तो वो मेरे पास या बगल में आ कर खड़ी हो जाती, वो शायद इसलिए कि मैं अपने आप को अकेला न समझूँ और बोर न होने लगूँ. तो मैंने समझा के हो सकता है कि हमारी स्टोरी चल जाय. पर ज्यादा ना कुछ नहीं हुआ फिर दूसरे दिन सुबह उसको कॉलेज जाना था, तो वो सुबह चली गई, और हम लोगों को भी वापस घर आना था, हमारी ट्रेन थी दोपहर की, हम लोग भी उसी दिन अंकल के यहाँ से वापस आ गए.
पर मेरा दिल वही लगा रहा, काफी दिन बीत गए पर मुझे उसकी याद आती रही, पर मैं अपनी पढ़ाई और काम मे व्यस्त हो गया, और वक़्त के साथ साथ उसकी यादें धीरे धीरे धुँधली पड़ने लगी. करीब 5 महीने बाद एक दिन मेरे पास अंकल का फ़ोन आया, घर में सब लोगों ने उनसे बात की, लास्ट में अंकल ने मुझसे बात की और मुझसे कहा- पूजा को भी बी.टेक करना है. चूँकि पूजा पढ़ने में बहुत अच्छी थी और वो कानपुर के आई.आई.टी. से बी.टेक करना चाह रही थी. इसलिए अंकल ने मुझसे कहा कि वो आई.आई.टी. की तैयारी करना चाहती है, और कानपुर में आई.आई.टी. की अच्छी कोचिंग है. इसलिए सोच रहा हूँ कि तुम्हारे यहाँ पर भेज कर उसको तैयारी करवा दूँ.
इतना सुनते ही मेरे पूरे शरीर में मानो करंट लग गया जब पता चला के पूजा मेरे यहाँ आकर रहेगी, मेरे मन में अचानक गुदगुदी होने लगी, मैंने तुरंत अंकल से कहा- हाँ अंकल, यहाँ बहुत अच्छी कोचिंग्स हैं, उसे यही भेज दीजिये, और मैं कोई अच्छी सी कोचिंग पता करके बताता हूँ, और मैं उसे पढ़ा भी दिया करूंगा. मेरी इस बात पर अंकल ने कहा- ठीक है, एक डेढ़ महीने के अंदर भेज दूँगा. पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- नहीं अंकल, जल्दी भेज दीजिये, अभी अभी एक नया बैच चालू हुआ है, उसमें मेरा दोस्त पढ़ने भी जाता है, ज्यादा लेट हो जायेगा तो उसका कोर्स भी छूट जायेगा. फिर उसे कुछ समझ में नहीं आएगा. तो अंकल ने कहा- ठीक है, जल्दी भेज दूंगा.
और हमारी बात खत्म हुई.
उस दिन मैंने ख़ुशी के कारण खाना ना खाया, और ना सही से सो पाया मैं मन ही मन मुस्कुराता रहा, रात भर उसी के बारे में सोचता रहा और उसके बारे में सोचते हुए रात में 3 बार मुट्ठ मारी. जब पाँच छह दिन हो गए और जब मैं एक दिन कोचिंग से वापस आया, तो क्या देखा कि अंकल और पूजा घर आये थे, उनको देखकर मेरी खुशी आसमान छूने लगी.
मैं अंकल से थोड़ी इधर उधर की बात करके उनको कोचिंग के बारे में बताने लगा, तब उन्होंने कहा- अभी नहीं पढ़ेगी पर 4-5 दिन बाद में इसे भेज दूँगा. यह सुन कर मेरे मन में निराशा छा गई, पर एक तरफ ये भी लगा- चलो, अभी नहीं तो चार पांच दिन बाद सही!
फिर उसी रात अंकल का अलग कमरे में बिस्तर लगा दिया और वो थके होने के कारण जल्दी सो गए और पूजा मेरी बहन के साथ सोने लगी. मैं अपने कमरे में आ गया पर मुझे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही थी. मैं सोच रहा था कि क्या किया जाए. तभी मैंने देखा कि टी वी पर हॉरर शो आ रहा था. मैंने तुरंत अपनी बहन को आवाज दी, मेरी बहन को हॉरर शो बहुत पसंद था, और मुझे ये पता था कि अगर मेरी बहन आएगी तो पूजा को जरूर साथ लाएगी, क्योंकि वो अभी सोई नहीं थी इसीलिए वो उसको अकेला नहीं छोड़ सकती थी.
फिर मेरी बहन और पूजा दोनों मेरे रूम में आ गई और हम सब टी वी देखने लगे, पूजा और मेरी बहन बेड में लेट गई और मैं साइड में बैठ गया. थोड़ी देर बाद मेरी बहन को नींद आने लगी तो उसने पूजा से कहा- चलो चलते हैं, मुझे नींद आ रही है. पर पूजा को सीरियल अच्छा लग रहा था इसलिए उसने बोला- थोड़ी देर रुको, लास्ट तक देख लें, फिर चल देंगे.
पर मेरी बहन को नींद काफी आ रही थी, उसने कहा- तुम देखो, मैं सोने जा रही हूँ. तुम देख कर आ जाना! पूजा ने बोला- ठीक है. मैं बस लास्ट देख कर आती हूँ. और मेरी बहन चली गई.
तभी थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि पूजा को टी वी देखते देखते नींद आने लगी है, वो अपनी आंखें धीरे धीरे बंद कर रही थी. अंत में वो मेरे बेड पर ही सो गई. चूंकि मैं बेड की साइड में बैठा था, पर जैसे ही पूजा सोई, मैं तुरंत जमीन पर बिस्तर लगा कर लेट गया. ताकि कोई अगर देखे तो उसको सोने दे, जिससे मैं रात में उसके साथ कुछ कर सकूं.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने टी वी बंद कर दिया और लाइट भी बंद कर दी. जब देखा पूजा गहरी नींद में सो रही है तो मैं धीरे से उठा और उसके शरीर को देखने लगा, उस समय उसने मेरी बहन का लोवर और टी शर्ट पहन रखा था जिससे उसके उभार साफ दिखाई पड़ रहे थे.
मैंने हल्के से उसके चेहरे पर हाथ रखा और चुचियों से होता हुआ उसकी चूत तक ले गया.
तभी मैंने देखा कि मेरी बहन उठ गई है, और पूजा को आवाज दे रही है, मैं तुरंत अपने बिस्तर पर आकर लेट गया. चूंकि पूजा गहरी नींद में सो रही थी इसलिए जब वो नहीं उठी तो मेरी बहन मेरे कमरे में आई, और उसे जगा कर ले गई. पूजा के जाने के बाद मुझे नींद ही नहीं आ रही थी इसलिए मैंने उसको सोच कर मुट्ठ मारी और सो गया.
दूसरे दिन अंकल और पूजा चले गए और मैं वासना भारी निगाहों से उसका इंतजार करने लगा.
16 दिन बाद अंकल का कॉल आया कि मैं पूजा को ट्रेन में बैठा रहा हूँ, तुम जाकर स्टेशन से ले लेना. मैंने अंकल से कहा- आप चिंता मत करिए, मैं उसको आराम से घर ले आऊंगा.
पूजा की ट्रेन रात में करीब 11 बजे आनी थी, तो मैं आराम से स्टेशन पहुंच गया. थोड़ी देर बाद उसकी ट्रेन आ गई और मैं उसको लेने प्लेटफॉर्म पर गया, जब वो ट्रेन से उतरी तो सच में क्या कयामत ढा रही थी, टीशर्ट और जीन्स पहने हुए, कंधे पर बैग टांगे हुए, कानों में ईयरप्लग लगाए हुए मेरी तरफ चली आ रही थी. उसकी टीशर्ट बहुत चिपकी हुई थी जिससे उसकी चूची और बड़ी लग रही थी.
हमने आपस में नमस्ते की, फिर उसको अपनी बाइक पर बैठाया और चल दिये. रास्ते भर मैं ब्रेक मार मार मार कर उसकी चूची का मजा लेता रहा और उसको पता भी नहीं चला. हम घर आ गए, हमने खाना खाया और फिर सब सो गए.
कहानी जारी रहेगी और आगे की कहानी में आप लोगों बताऊंगा कि मुझे पूजा को पटाने के लिए कौन कौन से पापड़ बेलने पड़े और किस तरह मैंने एक कुंवारी लड़की की सील तोड़ी. आगे की कहानी बहुत रोचक है. अब तक की कहानी कैसी लगी मुझे मेल जरूर करें. तथा किसी भी सहायता के लिए भी मुझे बेझिझक मेल करें. [email protected]
पूजा का पुजारी-2
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