वीणा की गुफा-2
लेखक: मनीष शर्मा प्रेषक : वीणा शर्मा मैंने उसे उठा क…
तीन कलियां ९९९
रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, होस्टल सुनसान सा हो ग…
कामना की साधना-7
मैंने अपना एक हाथ बाहर निकला कर ऊपर किया और तर्जनी…
मैं अज्ञानी था
नमस्कार दोस्तो, भूल तो नहीं गए? मैं आदित्य एक बार फि…
वो बेवफा हो गई
प्रेषक : विकास श्रीवास्तव मेरा नाम विकास है मैं दिल्ल…
कामना की साधना-6
मेरे पास अब सोचने का समय नहीं था। किसी भी क्षण मेर…
मेरी तंग पजामी
मेरी गर्म गर्म चूत की तरफ से सभी लंबे लंबे लण्डों को…
मसाज़ बॉय सेक्स: पति के सामने मालिश वाले से चुदी
दोस्तो, मैं आपकी दोस्त कविता एक बार फिर से आप लोगों…
जिस्म से जान तक
आप सभी पाठकों को प्रेमशीर्ष का प्रेम भरा नमस्कार ! सब…
अंजलि की प्यास
हेल्लो दोस्तो मैं जीत शर्मा दिलवाला एक बार फिर हाजिर…