तरक्की का सफ़र-17
मेरे घर में एक पार्टी थी। मैंने एक खेल रखा था और स…
तरक्की का सफ़र-13
राज अग्रवाल कमरे में घुसते ही राम ने कहा, “सिमरन य…
अंगूर का दाना-6
प्रेम गुरु की कलम से प्रथम सम्भोग की तृप्ति और संतुष्ट…
अंगूर का दाना-2
प्रेम गुरु की कलम से मेरे पाठको और पाठिकाओ! आप जरू…
अंगूर का दाना-3
प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद …
वेब से बेड तक-3
प्रेषक : लव गुरू फिर मैंने कहा- माँ, मुझको तुम्हारे…
तरक्की का सफ़र-10
रजनी अपनी योजना बताने लगी, “राज! तुम्हें मेरी और म…
हरिद्वार से टिहरी- एक अधूरी हसरत
सभी दोस्तों को मेरा हार्दिक प्रणाम। मैं अपनी प्रथम सच्…
अच्छे से करो ना !
दोस्तो, मेरा नाम आयुष है प्यार से लोग मुझे आयु राजा…
तरक्की का सफ़र-14
राज अग्रवाल एम-डी के जाने के बाद प्रीती ने देखा कि …