अंगूर का दाना-6
प्रेम गुरु की कलम से प्रथम सम्भोग की तृप्ति और संतुष्ट…
तरक्की का सफ़र-10
रजनी अपनी योजना बताने लगी, “राज! तुम्हें मेरी और म…
वेब से बेड तक- 2
प्रेषक : लव गुरू वह मेरे दूसरे चुचूक को अपने हाथ क…
तरक्की का सफ़र-15
राज अग्रवाल प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो ग…
अंगूर का दाना-5
प्रेम गुरु की कलम से मैंने अपने एक हाथ की एक अंगु…
अच्छे से करो ना !
दोस्तो, मेरा नाम आयुष है प्यार से लोग मुझे आयु राजा…
ख्वाहिश पूरी की
दोस्तो, मैं अर्पित सिंह एक बार फिर से अपनी अधूरी प्र…
अंगूर का दाना-3
प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद …
अजनबी से दोस्ती
प्रेषक : सुमीत सोनी आज मैं आपको एक अपनी ही जिंदगी …
दोस्त की मंगेतर
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम द…