तीन पत्ती गुलाब-5
ये साली नौकरी भी जिन्दगी के लिए फजीता ही है। यह अज…
मन का मीत मिला रे
मेरी शादी के बाद एक महीना तो रोज 4 से 5 बार चुदाई…
शालू की गुदाई-3
लेखक : लीलाधर उसने कहा- लगातार चुभन से कभी कभी सि…
तीन पत्ती गुलाब-6
मधुर आज खुश नज़र आ रही थी। मुझे लगता है आज मधुर ने…
लिंग की आत्मकथा
मैं शेखर का लिंग हूँ। मुझे अनेकों उपनामों से जाना…
मार डालोगे क्या…?
दोस्तो, मेरा नाम प्रेम है, मैं औसत दिखने वाला लड़का …
कयामत थी यारो-2
प्रेषक : विशाल मैं फिर से हाज़िर हूँ आप सबके बीच मे…
भैया का दोस्त -2
खाना खाने के बाद प्रदीप और भैया तो हॉल में जा कर ट…
शादी का लड्डू-1
मैंने बी एस सी पास कर ली थी, एक दिन मम्मी पापा की …
तीन पत्ती गुलाब-7
इस वाक्य का अर्थ मेरी समझ में नहीं आ रहा था। पता नह…