बुआ का कृत्रिम लिंग-1

लेखक : विवेक सहयोगी : तृष्णा मेरे प्रिय अन्तर्वासना द…

चूत के दम पर नौकरी-2

दोस्तो, मैं आपकी इकलौती लाडली प्यारी चुदक्कड़ जूही एक…

मुझे गन्दा गन्दा लगता है !-2

उस दिन घर आकर मैंने दसियों बार ब्रश किया होगा… अब …

जीना इसी का नाम है-4

अनीता ने अपने वक्ष पर मेरा चेहरा भींच लिया, मैं अप…

बीस रुपये में चुदईया

श्रेया आहूजा का आप सबको मनस्कार ! यह कहानी मेरे पड़ो…

मेरी चूत में आग लगी है

दोस्तो, मेरा नाम राम है, मैं हरियाणा के एक शहर में…

काली टोपी लाल रुमाल-2

उसके बाद तो हम दोनों ही पहरों आपस में एक दूसरे का…

यहाँ भी चुदी और वहाँ भी-1

मेरे भैया के एक मित्र राजीव मुझे कम्प्यूटर पढ़ाया करत…

सविता भाभी का बकरा-3

मैं भाभी के चूतड़ों पर साबुन मल ही रहा था कि तभी भ…

मुझे गन्दा गन्दा लगता है ! -1

मैं श्रेया आहूजा फिर से आपके सामने पेश हूँ किशोराव…