कुंवारी भोली–6
शगन कुमार मैं खाना गरम करने में लग गई। भोंपू के स…
झीलों के शहर में चूत में डुबकी लगाई
हाय फ्रेन्ड्स मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। अन्तर्…
मधुर प्रेम मिलन-2
प्रेषिका : स्लिमसीमा ‘मधुर, क्या मैं एक बार आपके हाथ…
भाई के लण्ड से चुद कर जीने की आजादी पाई-3
अब तक आपने पढ़ा.. मुझे मेरा भाई फट्टू किस्म का लग रह…
मेरी लव स्टोरी.. मेरा पहला प्यार -2
साथियो, पिछले भाग मेरी लव स्टोरी.. मेरा पहला प्यार-…
जिस्मानी रिश्तों की चाह -5
यह कहते हुए मैं बाथरूम गया और वहाँ से हेयर आयल की…
कुंवारी भोली -1
बात उन दिनों की है जब इस देश में टीवी नहीं होता थ…
अगर उस दिन मैं दरवाजा खोल देती
कई बातें ऐसी होती हैं जो बीत जाने के बाद बरसों तक…
मेरी जवान चूत की धार
दोस्तो, एक बार फिर राज का दिल और खड़े लण्ड से नमस्कार…
काशीरा-लैला -4
“वाह.. भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खि…