अब मत तड़फ़ाओ

प्रेषक : कुलभूषण सिंगला अन्तर्वासना के सभी पाठकों को…

बहुत जोर से करते हो

दोस्तो, आज मैं अपनी कहानी आप को पहली बार लिख रहा ह…

पहला गैंगबैंग

प्रेषक : प्रकाश कुमार सभी अन्तर्वासना के पाठकों को प्र…

मदनराग रंग लायो..

तन के मिलन की चाह बडी नैसर्गिक है। सुन्दर स्त्री की द…

पहले पिछवाड़ा !

प्रेषक : लवर बॉय दोस्तो, मेरा नाम बताना ज़रूरी तो नह…

बारिश और खूबसूरत चाची

वक़्त इंसान से कुछ भी करवा सकता है! इस बात का अंदाज…

कलयुग की लैला-2

प्रेषक : विजय पण्डित रूपा और कविता दोनों ही एक साथ …

आंटी और उनकी छवि

एक बार मैं फिर हाजिर हूँ अपनी एक नई कहानी लेकर। द…

वो कच्ची कलियाँ तोड़ गया

प्रेषिका : सिमरन सिंह मेरा नाम सूर्यप्रभा है, मैं अट्…

रीना ने अपनी सील तुड़वाई

हैलो दोस्तो, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि …