प्रतिमा भाभी बनी मेरी गुरु

प्रेषक: मनु मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। कुछ …

मैं लौड़ा नहीं चूसूंगी-2

अगले दिन से मैं अलग कमरे में सोने लगी। भाभी अब भै…

अभिलाषा की अभिलाषा

प्रेषक/प्रेषिका : छम्मक छल्लो यह अन्तर्वासना पर मेरी पह…

बिना सिंदूर का सुहाग-2

फिर 6 दिन बाद मैं कॉलेज गई तो वो गेट के बाहर मेरा…

बचपन की सहेलियाँ

प्रेषक : करिश्मा पुरुष यह कहानी उस वक्त की है जब मैं…

बानो की जवां रातें-2

लेखिका : शमीम बनो कुरैशी मेरे नथुनों में बानो की …

एक गांव की छोरी

मैं उन दिनों गांव में अपनी दीदी के घर आया हुआ था.…

क्या है प्रेम?

प्रेषिका : सिमरन शर्मा प्रेम का परिणाम संभोग है या क…

मैं, मेरी सहेली और वो

प्रेषक : सैम मैं सबसे पहले अन्तर्वासना का धन्यवाद करत…

प्रेम के अनमोल क्षण-1

प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा श्री मनोहर सिंह मेहता के द्…