किराया माफ़
मेरा नाम धीरज है, हरियाणा का रहने वाला हूँ। अन्तर्व…
शीशे का ताजमहल-1
शबनम का बैठकखाना खूबसूरती से सजा हुआ था, कमरे की …
प्यासी दुल्हन -3
रात के सात बज रहे थे, भाभी के साथ मैंने खाना बनाय…
रोहण का सच
प्रेषक : कुलजीत सिंह मैं कुलजीत सिंह आपका दोस्त, ले…
साली और साली की बेटी संग मज़े किए-1
दोस्तो, आज आपको मैं अपनी साली गुड्डी संग किए मज़े के…
जिस्मानी रिश्तों की चाह -29
सम्पादक जूजा अब तक आपने पढ़ा.. मैं खाना खाते हुए नज…
प्यासी दुल्हन -2
दस दिन बाद मेरा बैंक का पेपर लखनऊ में था। मेरी को…
ये दिल … एक पंछी-1
प्रेषिका : निशा भागवत निशा की शादी हुये पांच वर्ष स…
मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-18
मैं जानना चाह रहा था कि अंकल का लन्ड देख सलोनी की …
तू नहीं और सही-2
प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा उसकी गीली झांटों से मेरे …