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किरायेदार-4
लेखिका : उषा मस्तानी उसकी आँखों से आनन्द चमक रहा था…
अंगूर का दाना-1
प्रेम गुरु की कलम से एक गहरी खाई जब बनती है तो अपन…
मेरी मुनिया उसका पप्पू-1
लेखक : जीत शर्मा दोस्तो ! यह कथा मेरी कहानियों की ए…
किरायेदार-9
लेखिका : उषा मस्तानी रजनी उठी और उसने मुस्करा कर मु…
छप्पर फाड़ कर-2
मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थ…
छुपाए नहीं छुपते-2
प्रेषक : कुमार बोसोन उसने मेरा लिंग अपने हाथों में…
किरायेदार-3
सुरेखा की तरफ देखती हुई नर्स बोली- तू भी अपनी चूत …
लिफ़्ट देकर गांड को लिफ्ट दिलवाई
प्रणाम जी, सबको मेरा प्रणाम! लो आ गया आपका प्यारा सा…
किरायेदार-5
लेखिका : उषा मस्तानी सपना ने मुझे आवाज़ लगाई- राकेश…
अंगूर का दाना-3
प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद …