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मधुर प्रेम मिलन-1

प्रेषिका : स्लिमसीमा नई नवला रस भेद न जानत, सेज गई…

कुंवारी भोली–9

शगन कुमार मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं थी। मैं खड़ी…

कुंवारी भोली -1

बात उन दिनों की है जब इस देश में टीवी नहीं होता थ…

मेरी जवान चूत की धार

दोस्तो, एक बार फिर राज का दिल और खड़े लण्ड से नमस्कार…

कुंवारी भोली–7

शगन कुमार रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी। हरदम नि…

कुंवारी भोली–8

शगन कुमार कोई 4-5 बार अपना दूध फेंकने के बाद भोंप…

बिस्तर से मण्डप तक

लेखक : विक्की हेल्लो दोस्तो, मैं विकास, आज मैं अपनी …

कुंवारी भोली-3

लेखक : शगन कुमार अब उसने मेरे ऊपर पड़ी हुई चादर मे…

कुंवारी भोली–10

शगन कुमार मुझे भोंपू के मुरझाये और तन्नाये… दोनों …

कुंवारी भोली–11

शगन कुमार मैंने चुपचाप अपने छेद को 3-4 बार ढीला क…