किसी ने देख लिया तो?

टॉम हुक यह मेरा हाल ही का अनुभव है। आशा करता हूँ …

मेरा गुप्त जीवन- 136

अगले दिन सुबह ही मैं, कम्मो और निम्मो लखनऊ वापस जान…

पलक और अंकित के बाद

लेखक : सन्दीप शर्मा दोस्तो, उम्मीद है आप सभी मजे में …

मेरा गुप्त जीवन- 149

मैं अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर धीरे से लाजो क…

मेरा गुप्त जीवन- 138

कम्मो फ़ौरन उठी और बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बा…

मेरा गुप्त जीवन-102

जाते हुए कम्मो बोली- छोटे मालिक आप को नाश्ते में वो…

तलाकशुदा का प्यार-2

एक अच्छे रेस्तरां में हमने डिनर लिया, साथ में एक एक…

मेरा गुप्त जीवन- 181

इंदु मेरे अभी भी खड़े हुए लंड को बड़ी हैरानी से देख…

मेरा तप्त प्यासा बदन

“… यार, अठारह से अट्ठाईस साल की लड़कियाँ देखते ही क…

मेरा गुप्त जीवन- 168

मैं बड़ी धीरे धीरे चुदाई कर रहा था ताकि ऊषा पुनः ग…