मेरे निर्वस्त्र बदन की कल्पना
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को सोनाली का एक बार फिर स…
पहला सेक्स अनुभव वो भी लेस्बो
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार! …
अंगूर का दाना-1
प्रेम गुरु की कलम से एक गहरी खाई जब बनती है तो अपन…
अंगूर का दाना-2
प्रेम गुरु की कलम से मेरे पाठको और पाठिकाओ! आप जरू…
ख्वाहिश पूरी की
दोस्तो, मैं अर्पित सिंह एक बार फिर से अपनी अधूरी प्र…
दोस्त की मंगेतर
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम द…
अंगूर का दाना-3
प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद …
अंगूर का दाना-4
मैंने उसे बाजू से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप …
अंगूर का दाना-6
प्रेम गुरु की कलम से प्रथम सम्भोग की तृप्ति और संतुष्ट…
अंगूर का दाना-7
प्रेम गुरु की कलम से ‘अम्मा बापू का चूसती क्यों नहीं…