उसकी खुद की फट गई !
हरीश महरा सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को मेरा यानि ह…
लड़कपन की यादें-1
मैं काफ़ी समय से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। अधि…
कोटा की कमसिन कली-3
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा एक बार फिर नमस्कार…
लण्डों की होली-1
Lundo ki Holi-1 विराट दोस्तो, आज मैं आपके लिए एक न…
नितिन की टल्ली-1
लेखिका : कविता लालवानी सहयोगी : टी पी एल मेरे अन्त…
जेम्स की कल्पना -4
कल्पना अलग पड़ी थी। योनि बाढ़ से भरे खेत की तरह बह र…
सोनिया की मम्मी-2
लेखक : राज शर्मा प्रथम भाग से आगे : वो बोली- जब तुम्…
जिस्म की जरूरत -27
मेरे मन में कई ख्याल उमड़े, फिर कुछ समझ आया कि वंदन…
जेम्स की कल्पना -3
लगभग एक साल लगे कल्पना को इस घटना पर थोड़ा थोड़ा बात…
लड़कपन की यादें-4
काफी देर तक सोनी नहीं आई तो मैंने फिर से उसे आवाज…